हज़ार-हज़ार तोते
छर्रे की तरह छूटते हैं
पीछे, ऊँची मेहराबों से :
आकाश में
खाते हैं गोते ।
सलाखों के पीछे से
सेंदुर पुता हुआ
झाँकता है कोई चेहरा
रंगे हाथ
खिलखिलाता ।
हज़ार-हज़ार तोते
छर्रे की तरह छूटते हैं
पीछे, ऊँची मेहराबों से :
आकाश में
खाते हैं गोते ।
सलाखों के पीछे से
सेंदुर पुता हुआ
झाँकता है कोई चेहरा
रंगे हाथ
खिलखिलाता ।