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सन्ध्या-चित्र-3 / विजयदेव नारायण साही

रह-रह कर छेड़ती-सी हवा
गुलाबी पतंग के पीचे
भरे-भरे
गुदगुदे गुलाबी बादल ।

कंगूरे के ऊपर का हवामुर्ग़
खिलाड़ी
पेट के सहारे नाचता है
चोंच से पूँछ पकड़ने के लिए ।