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सपना / किरण मिश्रा

बिना बुलाए
मैं घूम आती हूँ
धरा के चप्पे-चप्पे पर
समुद्र, पहाड़ नदियों और जंगलो में

आकाश में चाँद सितारों में
महल में खेत में खलियानों में
और ले आती हूँ सपनो से अपना बचपन
बिना वीजा और पासपोर्ट के