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सपना है आत्मा / नंदकिशोर आचार्य

रचता है अस‍त्
सत् को
ज्योति को तमस् जैसे

तुम को रच देती है
मेरी कामना वैसे

देह का सपना है आत्मा
अपने अँधेरों में जो
रचती रहती है उसे

12 अप्रैल, 2009