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सपने देखती आँखें / भारत यायावर


कितना कठिन है

एक लगातार चलने वाली लड़ाई को

कविता सौंप देना ।


सौंप देना

अपनी आँखें

जो लगातार

सपने देखती हों ।


सपने देखने चाहिएँ

सपने

जो हमें

सही-सही सरोकारों से

जोड़ते हैं

सपने

आँखों की तरह ही

कीमती हैं ।


सपने देखती आँखें

कितनी ख़ुश हैं ।

कितनी भरी-भरी-सी !

कितने ही भरपूर प्रेम की

ज्वाला में जली हुई-सी !


सपनों में आँखें डूबी हैं

क्या अच्छा है

मुक्ति का बल

इस बन्धन से बंधा हुआ है

दुनिया का अपनापन

इससे सजा हुआ है ।