कितना कठिन है
एक लगातार चलने वाली लड़ाई को
कविता सौंप देना ।
सौंप देना
अपनी आँखें
जो लगातार
सपने देखती हों ।
सपने देखने चाहिएँ
सपने
जो हमें
सही-सही सरोकारों से
जोड़ते हैं
सपने
आँखों की तरह ही
कीमती हैं ।
सपने देखती आँखें
कितनी ख़ुश हैं ।
कितनी भरी-भरी-सी !
कितने ही भरपूर प्रेम की
ज्वाला में जली हुई-सी !
सपनों में आँखें डूबी हैं
क्या अच्छा है
मुक्ति का बल
इस बन्धन से बंधा हुआ है
दुनिया का अपनापन
इससे सजा हुआ है ।