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यह अँधियारा
और सहन किए जा सकने लायक बिछोह
तुम्हारे साथ बाँटती हूँ बराबर-एकसार
रुदन किसलिए?
लाओ बढ़ाओ अपना हाथ
और वचन दो कि आओगे फिर एक बार।
ऊँचे पहाड़ों के मानिन्द हैं
तुम और मैं
जो कभी नहीं आ सकते हैं नजदीक, पास-पास।
बस, इतना करो
सितारों को बनाकर कासिद
भेजो अपना संदेश
उस वक़्त
जब गुज़र चुकी हो आधी रात।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह