सपनों की अलबेली दुनिया,
कैसी रंग-रंगीली दुनिया।
परियों के कुछ बच्चे प्यारे,
हाथों में थामे गुबारे।
तितली जैसे पंख पसारे,
जाने क्या कर रहे इशारे।
इन्द्रधनुष भी है मुस्काता,
ओहो, यह तो मुझे बुलाता।
तनिक ठिठक, फिर पाँव बढ़ाकर,
जा पहुंची मैं आसमान पर।
करे दोस्ती पारियों के संग,
इन्द्रधनुष से माँग लिए रंग।
उन रंगों से फिर कापी पर,
चित्र बनाए ऐसे सुंदर।
टीचर जी ने दी शाबासी,
आँख खुली तो बिस्तर पर थी।