मेरे सपनों का गुब्बारा
जिसपर लिखा था 'मन'
तुमने ही फुलाया था ना
खामोशियों की हवा भरके?
तुम्हारे होंठों ने ही दी थी ना
इसे उड़ाने उम्मीदों की?
फिर क्यों दिया इसे सच के हाथों में?
सपनों के नाखून बहुत बड़े होते हैं।
मेरे सपनों का गुब्बारा
जिसपर लिखा था 'मन'
तुमने ही फुलाया था ना
खामोशियों की हवा भरके?
तुम्हारे होंठों ने ही दी थी ना
इसे उड़ाने उम्मीदों की?
फिर क्यों दिया इसे सच के हाथों में?
सपनों के नाखून बहुत बड़े होते हैं।