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सफरनामा जिदंगी का / मनीष मूंदड़ा

जि़न्दगी का सफरनामा
तेरा और मेरा
कभी खुशियाँ थोड़ी कम
तो कभी जी भर के गम
सपने छोटे
तो कभी बड़े
टूटते-बिखरते
तो कभी बनते
कभी संघर्ष कटीला
रास्ता पथरीला
कभी मानों फूलों-सी महकती बेला
कभी सबकुछ बिलकुल आसान
तो कभी मनोबल लहूलुहान
कभी एकाकीपन भरी दोपहर
कभी भीड़ भरा प्रहर
कभी दूर-दूर तक काले धुएँ का घेरा
तो कभी चमकती रौशनी भरा सवेरा
कभी अपनों का प्यार बेशुमार
तो कभी पहचानने से इंकार
कभी हताशा के बादल घुमड़ते चारों ओर
तो कभी आशाओं का पुरजोर
कभी आँखे गीली
दर्द भरे इंतजार में
तो कभी अनंत खुशियों की चमक
चेहरे के अभिसार में
जि़न्दगी का सफरनामा तेरा और मेरा एक जैसा