Last modified on 17 नवम्बर 2023, at 00:56

सफ़र मुसाफ़िर जारी रखना / हरिवंश प्रभात

सफर मुसाफ़िर जारी रखना।
हरदम सबसे यारी रखना।

मिल जाएँगे मीत तुम्हारे,
लम्हें ख़ुशियाँ प्यारी रखना।

फूल गुलाब के मिल जाएँगे,
ग़ज़लें पास हमारी रखना।

सपनों में कुछ प्रश्न आएँगे,
उत्तर की तैयारी रखना।

तुम तो चढ़ सकते पर्वत पर,
जज़्बा, ताकत भारी रखना।

राहों में मंदिर मिल जाए,
मन इक संत पुजारी रखना।

तेरा नभ भी रौशन होगा,
सूरज-चाँद से यारी रखना।

लोक का तंत्र है अपना उम्दा
समता में नर-नारी रखना।

है ‘प्रभात’ तुम्हारा साथी,
किरणों को अंकवारी रखना।