सबद रचावै रास
बधावै आस
कर देवै जड़ नै चेतण
कदै कालिदास
अर तुलसीदास
तो कदै पाणिनि।
अंवेर नै राखौ
काळजै मांय
जीभ सूं ओलै।
सबद रचावै रास
बधावै आस
कर देवै जड़ नै चेतण
कदै कालिदास
अर तुलसीदास
तो कदै पाणिनि।
अंवेर नै राखौ
काळजै मांय
जीभ सूं ओलै।