कयो मनैं
मा सुरसत
सूंपती बगत
आप रै
अखूट भन्डार री कूंची
कर भलांई अबै
उरळै हाथां खरच
पण मान ‘र
इण नै
ओपरो बापरयोड़ो धन
कोनी हुवै
म्हारै स्यूं फजूल खरची
मनैं तो लागै
हरेक सबद
हाथी रो पग
खरचूं बतो ही
जकै स्यूं
अरथीज ज्यावै
चिंतण !
कयो मनैं
मा सुरसत
सूंपती बगत
आप रै
अखूट भन्डार री कूंची
कर भलांई अबै
उरळै हाथां खरच
पण मान ‘र
इण नै
ओपरो बापरयोड़ो धन
कोनी हुवै
म्हारै स्यूं फजूल खरची
मनैं तो लागै
हरेक सबद
हाथी रो पग
खरचूं बतो ही
जकै स्यूं
अरथीज ज्यावै
चिंतण !