Last modified on 23 जनवरी 2015, at 11:36

सबद भाग (10) / कन्हैया लाल सेठिया

91.
समदर रेसम घाघरो
षीष हिमाळो बोर
आढ्यां चूनड़ दूब री
धरती मां गणगौर
92.
समदरसी चन्नण जिस्या
विरला मिलै कदास ?
काटै जकै करोत रै
अंगां बसै सुवास

93.
मन री माखी बैठसी
देख सूगली चीज,
उडा बरोबर एक दिन
ज्यासी जीव पतीज

94.
मत भोळाई और नै
निज में राख संभाळ
सूत्यां रा पाडा जणै
बैठी जाग रूखाळ

95.
कर्यो बास पंछी कता
कुण खाया फळ फूल ?
सीख बटाऊ रूंख स्यूं
नेकी कर ज्या भूल

96.
रूड़ो पुसब अबोल पा
बोलै मधरी गन्ध
सुणै नाक बण कान, अे
निज निज रो सम्बन्ध

97.
जतै गिणीजै रूंख बै
अणगिण नै बणराय,
न्यारा न्यारा च्यानणा
एकठ बाजै लाय

98.
चावै मुगती जींवतो
कर सेवा, दै दान
डर मिटज्यासी मरण रो
ओ अणभूत्यो ज्ञान
99.
मैमा मोटी सबद री
सबद बिरम है आप
साध सबद मिटसी मिनख
थारा तीन्यूं ताप

100.
दिवळां री संगळ करी
सुधरी काळी रात
चोर्योड़ो सूरज दियो
बावड़ियो परभात।