Last modified on 23 जनवरी 2015, at 11:31

सबद भाग (5) / कन्हैया लाल सेठिया

41.
अणसैंधा सैंधा हुया
सैधा हुया अजाण,
चावै ओळख सासती
निज री राख पिछाण

42.
बीज बटाऊ मजल फळ
बीच बिंसाई पात
हाथ तणै री डांगड़ी
चालै बो दिन रात

43.
देख काच नै कामणी
नैण भलांई आंज
पण दरपण सो ऊजळो
कर हिवड़ै नै मांज

44.
समद जिस्यो गम खाणियो
कोनी लादै और
बोछरड़ी लैरां करै
गोधम आठों पौर

45.
भाज्या स्याणा रामजी
हेम मिरग रै लार,
इचरज के भाज्यो फिरै
जे भोळो संसार

46.
अंतस गळगच कद करै
आंख्यां देख्यो नेह ?
छांट पड़गां जोड रो
भेळै कुतिया मेह

47.
भूल हुवै पण भूल नै
मत ज्याई जे भूल
चीत राखसी भूल नै
जणां चालसी सूळ

48.
तिसणावष आंधो हुयो
भाजै मन रै लार,
जाबक बोको बाथ में
कद मावै गिगनार।

49.
लख रै सागै अलख है
अलख सदा लख साथ,
सबद अरथ गाल्यां बगै
ज्यूं परतख गळ बाथ

50.
खाली कर ‘म’ नै पछै
उंड़े कुवै उसेर,
निथर्यै निरमळ नीर स्यूं
हियो भरीजै फेर