अब सभी जीवन-दर्शन
धुँधला गये हैं
अर्थ-दर्शन के सामने।
सभी सच्चाईयों को तोड़ दिया है
अर्थ की सच्चाई ने
और
सब सवालों से बड़ा सवाल
हो गया है/अर्थ का।
अब सभी जीवन-दर्शन
धुँधला गये हैं
अर्थ-दर्शन के सामने।
सभी सच्चाईयों को तोड़ दिया है
अर्थ की सच्चाई ने
और
सब सवालों से बड़ा सवाल
हो गया है/अर्थ का।