कमरे में सब कुछ शान्त है
चीज़ें अपने विन्यास में अविचल हैं
बाहर धूप इतनी सुबह दोपहर जैसी चटख़ है
मुटरी बड़बड़ा रही है-
सभी जैसे दम साधे
उसकी प्रतीक्षा कर रहे हैं।
कमरे में सब कुछ शान्त है
चीज़ें अपने विन्यास में अविचल हैं
बाहर धूप इतनी सुबह दोपहर जैसी चटख़ है
मुटरी बड़बड़ा रही है-
सभी जैसे दम साधे
उसकी प्रतीक्षा कर रहे हैं।