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समदण तेरे नैनों में कालीघटा / मालवी

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

समदण तेरे नैनों में कालीघटा
प्यारी समदण को बिछिया सोवे
अनबट समदण को तोड़ा सोवे
सांकला में होय रई लटा पटा।