समन्दर किनारे पहुँच
जब मैं इसमें से उठती
लहरों को देखता हूँ
तो इसकी शान्ति को अपने
हृदय में उतार लेना चाहता हूँ
और सीपियों को उठा-उठाकर
सोचता हूँ
अपनी बीती ज़िन्दगी के बारे में
और दिल मेरा हो जाता है
कण-कण
किनारे पर पड़ी रेत की तरह
समन्दर किनारे पहुँच
जब मैं इसमें से उठती
लहरों को देखता हूँ
तो इसकी शान्ति को अपने
हृदय में उतार लेना चाहता हूँ
और सीपियों को उठा-उठाकर
सोचता हूँ
अपनी बीती ज़िन्दगी के बारे में
और दिल मेरा हो जाता है
कण-कण
किनारे पर पड़ी रेत की तरह