बादुर नें
बादुरनी सें कहलकै
आदमी मंदिर में बैठकेॅ गुनगुनावेॅ
या चैइढ़केॅ पुकारेॅ महल-अटारी
जे मजहब के नाम पर
हाथ में रखै छै कटारी
ऐ बादुरनी
तोंय कैह देहो
समाज के वै रहनुमा सें
नै रखोॅ ऐसन पुजारी
जे आपस में लड़वाय केॅ
बंटवाय रहल छै
घोॅर आरो दुआरी।