....सुन ! मेरे ही अंशी सुन
वह जो धारे है
कब किससे बोले है
जो बोले भी है कभी
सुने है कौन
उसको कौन समझे है
सुलाने को तुझे
सुनाई ही नहीं कभी लोरी
जागता रह कर सुने तो सुन....
....सुन ! मेरे ही अंशी सुन
वह जो धारे है
कब किससे बोले है
जो बोले भी है कभी
सुने है कौन
उसको कौन समझे है
सुलाने को तुझे
सुनाई ही नहीं कभी लोरी
जागता रह कर सुने तो सुन....