सभी कुछ बदलता है
अपनी रफ़्तार से
सिर्फ़ नदी ही नहीं
पहाड़ भी
चूर-चूर हो कर बहता है
नीचे
नदी की छाती से लगा हुआ.
सभी कुछ बदलता है
अपनी रफ़्तार से
सिर्फ़ नदी ही नहीं
पहाड़ भी
चूर-चूर हो कर बहता है
नीचे
नदी की छाती से लगा हुआ.