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समुद्र-10 / पंकज परिमल

किसी की आँखों में
करुणा का समुद्र था
तो किसी के हृदय में प्रेम का
समुद्र से कोई नहीं पूछता
कि क्यों वह लहरों के कंधों पर
अपना सिर रखकर
विलापता है