इन्हीं लहरों से
बनी हैं
आँख मेरी
शायद इसी से
देखते सागर
उमड़ती जा रहीं ये
फैलती भी जा रहीं
जिनमें समाता आ रहा
विस्तार सागर का
इन्हीं लहरों से
बनी हैं
आँख मेरी
शायद इसी से
देखते सागर
उमड़ती जा रहीं ये
फैलती भी जा रहीं
जिनमें समाता आ रहा
विस्तार सागर का