Last modified on 14 दिसम्बर 2008, at 09:41

सम्भावना / विश्वनाथप्रसाद तिवारी

एक छोटा-सा फूल
देवता के मस्तक पर चढ़ता है।
एक नन्हा-सा अंकुर
धरती की छाती तोड़कर
आकाश की ओर बढ़ता है।
एक किरण फूटती है
अंधकार के गर्भ से।
एक पत्थर का टुकड़ा
मंदिर में प्रतिष्ठित हो जाता है।