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सम्राट सॉल और मैं / येहूदा आमिखाई / उज्ज्वल भट्टाचार्य

1

उन्होंने एक उँगली दी, लेकिन उसने पूरा हाथ ले लिया
मेरी ओर उन्होंने हाथ बढ़ाया : मैंने एक उँगली भी न ली ।
जबकि मेरा दिल
अपने शुरुआती जज़्बात तौलने में व्यस्त था
वह साँड़ो को चीर डालना सीख रहा था ।

मेरी नब्ज़ चलती थी
टपकती बूँद की तरह
उसकी नब्ज़
किसी नई इमारत पर हथौड़े की तरह चोट करती थी ।

वह मेरा बड़ा भाई था
मुझे उसके पुराने कपड़े पहनने को मिलते थे ।

2
  
एक कुतुबनुमा की तरह हमेशा उसका दिमाग
उसे सुरक्षित भविष्य के उत्तर में ले जाता रहा ।

अलार्म घड़ी की तरह उसका दिल तय था
उसके शासन के वक़्त की ख़ातिर
जब हर कोई सोता हो, वह चीख़ उठनेवाला
जब तक गले का हर कोना घायल न हो जाए ।
कोई उसको रोकने वाला नहीं :

आख़िरकार सिर्फ़
मूर्खों के ही पीले दाँत बाहर निकल पड़ते हैं ।

3
 
मुर्दे पैगम्बर घुमाते रहे समय के पहिये
जब वह मूर्खों की तलाश में निकला था
अब वे मुझको मिल चुके हैं.
लेकिन मुझे पता नहीं कैसे उनसे निपटा जाए ।
वे मुझ पर ही लात जमाते हैं ।

घास-फूस के साथ मैं बड़ा हुआ
भारी बीज के साथ मैं गिरता रहा ।
लेकिन वह इतिहास की हवा में सांस लेता रहा
उसके बदन पर शाही इत्र लगाया जाता रहा
और पहलवानों का तेल ।
वह जैतून के पेड़ों से लड़ता रहा
उन्हें सिर झुकाने को मजबूर करता रहा ।

इतनी मशक्कत के चलते
धरती के माथे पर जड़ें उभर आईं ।
सारे पैगम्बर दूर चले गए;
सिर्फ़ भगवान रह गया, गिनता रहा :
सात...आठ...नौ...दस...
उसके कन्धे से लेकर नीचे तक सारे लोग जयकार करते रहे ।
कोई चुनौती देने सामने नहीं आया ।
उसकी जीत हुई ।

4

मैं थक चुका हूँ,
मेरा बिस्तर मेरी सल्तनत है ।

मेरी नीन्द जायज़ है
मेरा सपना फ़ैसलाकून है ।

अपने लिबास मैं एक कुर्सी पर टाँग देता हूँ
आनेवाले कल की ख़ातिर ।

उसने अपनी सल्तनत को
सोने के खाँचे में जड़कर
आसमान की दीवार पर टाँग दिया है ।

मेरी बाँहें छोटी हैं, मानो पैकेट बान्धने के लिए
रस्सी छोटी पड़ गई हो ।

उसकी बाँहे बन्दरगाह की ज़ँजीर जैसी है
समय के पार तक माल पहुँचाने के लिए ।

वह मुर्दा सम्राट है ।
मैं थक चुका इनसान हूँ ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद  : उज्ज्वल भट्टाचार्य