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सरगम / प्रीति समकित सुराना

तेरे गीतों की लय में बँधी
मेरी साँसों की है सरगम ,
तू ही है हमराज़ मेरा
तू ही है मेरा हमदम।

तेरे हाथों में था हाथ मेरा
जीवन एक पल को था ठहरा
कुछ बोली अबोली बातों का
हुआ है मन पर असर गहरा
उन बातों के कर लेखे जोखे
कितनी खुशियाँ थे कितने गम
तेरे गीतों की लय में बँधी...

जब तू मुझको छोड़ गया
न शाम हुई न रात ढली
न नींद रही न कोई सपना
रही सूनी यादों की गली
कठिन था बहुत ही समझाना
विचलित था विरहन का मन
तेरे गीतों की लय में बँधी...

बीते लम्हों की बात न कर
जो छूट गया उसे याद न कर
पल पल जो हमने साथ जीया
हर पल को कर दे तू अमर
लिख दे कोई ऐसा गीत नया
कर दें सबकी आँखें जो नम
तेरे गीतों की लय में बँधी...