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सर पे सड़क / अनिरुद्ध नीरव

ट्रैफ़िक भरी
मेरे दर पे सड़क
     घर है सड़क पे
     कि घर पे सड़क

ज़ोरों का बाजा
हुल्लड़ नाच शादी
उत्सव जनम का
मरन की मुनादी
     बरसे हैं सब
     याने सर पे सड़क

बैठक में करती
ट्रैफ़िक जाम अक्सर
गर्दो धुआँ हॉर्न
कोहराम अक्सर
     उसकी है
     सोफ़ा कव्हर पे सड़क

छोटा झरोखा
नहानी में घुसकर
ठंडा करे क्या
जुलूस और बैनर
     साबुन पे मै हूँ
     शावर पे सड़क

अनचीन्हे मुख
बेतकल्लुफ़-सी बातें
ज़िन्दा करे ये
मरे रिश्ते नाते
     चढ़ते है
     लंच और डिनर पे सड़क ।