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सलेस-समरी संवाद / ब्रह्मदेव कुमार

सलेस- तोहें हमरोॅ समरी दुल्हनियाँ
हम्मेॅ तोरोॅ राजा सलेस।
कैह्नें तोहें कलापै छोॅ रानी
किये छों तोरा कलेश
धनी हे कथी लेॅ, अखिया तेॅ तोरोॅ चूवै छौं छर-छर लोर।

समरी- जिरूवा-पचुवा दुन्हूँ बहिनियाँ
लेलखौं तोरा लोगाय।
जादू जोरें जौरें राखै छेल्हों
हमरा सेॅ लेल्होॅ छिपाय
सुनोॅ पिया यही सेॅ, सामीनाथ यही सेॅ
अखिया सेॅ हमरोॅ चूवै छै छर-छर लोर॥

सलेस- जिरूवा-पचुवा धमिनियाँ-नठिनियाँ
ओकरोॅ की औकात।
मुंगिया छौड़िया, लौगिया मलिनियाँ
लाजोॅ सेॅ बोलै झात
सुनोॅ मोरी धनी हे, कैह्नें नी हमरा पेॅ करै छोॅ विश्वास॥

समरी- गौनें रातियें तेजि केॅ भागल्होॅ
मोरंग राज नेपाल।
लाली सेज पलंगिया, सूनों रे देखी
ठोकलां आपनों कपार
सुनोॅ पिया यही सेॅ, सामीनाथ यही सेॅ
तोरा पेॅ हमरा नै होय छों विश्वास॥

सलेस- छुछुवैली बमसल्ली, छौड़िया के
देलियै हिसकोॅ छोड़ाय।
सब्भैं सेॅ बची केॅ ऐलिहों हे रानी
तोरा सेॅ जियरा जोड़ाय
आबेॅ जरा हँसोॅ नीं
लाली सेज पलंगिया
चढ़ी-चढ़ी हँसोॅ नी॥

समरी- दुर्गामाय के सुमरी-सुमरी
करै छेलिये विहान।
हूनके किरपा सेॅ घूरी केॅ ऐलै
आय हमरोॅ भगवान
देखी हम्में हँसै छीं
समनां मेॅ पियवा केॅ
देखी-देखी हँसै छीं॥

सलेस- आबेॅ जरा हँसोॅ नीं
लाली सेज पलंगिया
चढ़ी-चढ़ी हँसोॅ नी।

समरी- देखी हम्मेॅ हँसै छीं
समनां मेॅ पियवा केॅ
देखी-देखी हँसै छीं॥