(कविता का एक अंश)
लाखों वर्षो से अछूत पैरों के नीचे,
दबे तुम्हारे, हाय-हाय कर रोते हैं,
तुम्हें दया कुछ नहीं, तुम्हारे कुटिल पदों को
देखो वे अपने शोणित के जल से धोते हैं ।
(कविता का एक अंश)
लाखों वर्षो से अछूत पैरों के नीचे,
दबे तुम्हारे, हाय-हाय कर रोते हैं,
तुम्हें दया कुछ नहीं, तुम्हारे कुटिल पदों को
देखो वे अपने शोणित के जल से धोते हैं ।