जब तक यह पृथ्वी रसवती है
और
जब तक सूर्य की प्रदक्षिणा में लग्न है,
तब तक आकाश में
उमड़ते रहेंगे बादल मंडल बाँध कर;
जीवन ही जीवन
बरसा करेगा देशों में, दिशाओं में;
दौड़ेगा प्रवाह
इस ओर उस ओर चारों ओर;
नयन देखेंगे
जीवन के अंकुरों को
उठ कर अभिवादन करते प्रभात काल का ।
बाढ़ में
आँखो के आँसू बहा करेंगे,
किन्तु जल थिराने पर,
कमल भी खिलेंगे
सहस्रदल ।