साँझहीं से गोर घहरइलें, कपार टनकलें नू हो
चेरिया राजा लगे खबरी जनाव कि धांगरिन खोजि आनस ए।।१।।
अँगना बहारत चेरिया त अउरी लउरिया रे ना
चेरिया चलि भइली राजा के आगे त खबरी जनावेली ना।।२।।
पासवा त खेले राजा बेल-तर अउरी बबूर-तर, अउरी बबूर-तर
ए चेरिया कहु-कहु महले के हाल, त जियरा करार पड़े ए।।३।।
पासवा त खेल राजा बेल-तर अउरी बबूर-तर, अउरी बबूर तर
राजा तोर धनि बेदना बेआकुल घांगरिन चाहेली ए।।४।।
पासवा त बीगे राजा बेल-तर अउरो बबूर-तर ए
राजा धपसि बइठे गज ऊपर, कहु रानी कुशल ए।।५।।
हमरो कुसल दस कुशल चाहिले ए
राजा कुशल चाहिले तोहर, त धांगरिन खोजि आनु ए।।६।।
घोड़वा पलने राजा दसरथ, हथिए महाउत ए
ललना चलि भइले नगरी गोरखपुर, धांगरिन खोजे नु ए।।७।।
एक कोस गइले दूसर को, अउरी तीसर कोसे ए
ललना भेंट भइले भइंसी चरवाह, कहाँ बसे धांगरिनए।।८।।
हम नाहीं जानी राजा दसरथ, हथिया महाउत हे
राजा आगे बारे गइया चरवाहवा, उहे जनिहें धंगरिन ए।।९।।
एक कोस गइले दूसरे कोस, अउरी तीसरे कोस ए
ललना भेंट भइले गइया चरवहवा, कहाँ बसे घांगरिन ए।।१0।।
हम ना जानीले राजा दसरथ, हथिया महाउत ए
आगे बारी कुँइयाँ पनिहारिन, जनिहें धांगरिन ए।।११।।
एक कोस गइले दूसर कोस, अउरी तीसरे कोस ए
ललना भेंट भइलें कुँइयाँ पनिहारिन, कहाँ बसे धांगरिन ए।।१२।।
ऊँची शहर पुर पाठन, बेंतवा के छाजन ए
दुअरे चननवा के गाछ, उहे घरवा धांगरिन ए।।१३।।
‘धांगरिन-धांगरिन’ हाँक पारे, धांगरिन नाहीं बोले ए
ललना खाइ लेले पानवा के बीरवा, त बोलेले गरभ बोलिया हो।।१४।।
केही मोरा ठाढी खुरकवेले, बेंरवा छोड़ावेले ए
ललना कवना निरासी घरे पुत्र जनमले कि निंदिया जगावेले ए।।१५।।
घोड़वा चढ़ल राजा दसरथ, हथिया महाउत ए
ललना धांगरिन से बोलेले बचनिया, त मिनती सुनावेले ए।।१६।।
‘जाही घड़ी पुत्र जनमिहें; त अजोधा लुटा देवों हो
धांगरिन जाही घड़ी पुत्री जनमिहें, त पठोरा पेन्हा देबों हे’।।१७।।
‘तोरे धनि हाथवा के शाकट, मुँहवाँ के फूहड़ ए
ललना बोलेली गरभवा के बोलिया, हम्में नहीं जाइब ए’।।१८।।
‘जाही घड़ी पुत्र जन्म लिहें, अजोधा लुटा देबों हे
धांगरिन जाही घड़ी पुत्री जनमिहें, त त पठोरा पेन्हा देबों हे’।।१९।।
कांची-कांची बँसवा कटावेले, लचका बनावेले ए
ललना ताही चढ़ि अइली बूढ़ी धांगरिन ऊपरे चँवर डोले ए।।२0।।