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साँस / कन्हैया लाल सेठिया

सांस
निकळयो’र बापड़ी
माटी खिंड ज्यासी-
आ थारी कळपना ही थोथी है !
मौत तो
जिनगानी रै
बिखरयोड़ै पानाँ री
जिल्द बाँध्योड़ी पोथी है !