Last modified on 8 अगस्त 2011, at 16:27

सांच / हरीश बी० शर्मा


अखबारां में
रोज नूंवी-नूंवी
खबरां छपी आवै है
कैवै है आ बात लोग-बाग
म्हनैं तो सौ बातां री
एक बात समझ आवै है
सबदां रो एक ई सांच
सांच लागै
जूनो हुयोड़ो सांच,
मानखै री मिरतु
मिनखपणै रो अजूणो अर
मिनखां री रैवणगत।