Last modified on 6 जून 2013, at 13:35

सांसों का हिसाब/ शिवमंगल सिंह 'सुमन'

तुम जो जीवित कहलाने के आदी हो
तुम, जिन को दफना नहीं सकी बर्बादी
तुम, जिन की धडकन में गति का बंदन है,
तुम, जो पथ पर अरमान भरे आते हो,
तुम, जो हस्ती की मस्ती में गाते हो.

तुम, जिनने अपना रथ सरपट दोड़ाया
कुछ क्षण हांफे ,कुछ साँस रोककर गाया,
तुमने जितनी रासें तानी- मोंड़ी हैं
तुमने जितनी साँसें खींची-छोड़ी हैं
उन का हिसाब दो और करो रखवाली
कल आने वाला है सांसों का माली.