‘झीनी-झीनी चदरिया,’
ओढ़ रखी है मैंने भी
तुम्हारे नाम की।
मेरी सांस-सांस
गाती है दिन-रात।
भीतर-बाहर आती-जाती
गुनगुनाती है हवा
बस एक ही आलाप....।
‘झीनी-झीनी चदरिया,’
ओढ़ रखी है मैंने भी
तुम्हारे नाम की।
मेरी सांस-सांस
गाती है दिन-रात।
भीतर-बाहर आती-जाती
गुनगुनाती है हवा
बस एक ही आलाप....।