Last modified on 30 अगस्त 2018, at 02:41

साइकिल / चन्दन सिंह

आदमियों से भरे इस जहाज़ पर
कर रही है सफ़र,
बच्चों की एक नन्हीं-सी साइकिल भी
लाल चमकीली
बच्चों की लालसा में रंगी हुई-सी

इलाज करवाकर गाँव लौट रहे बूढ़े दादा ने
ली है वह साइकिल अपने ज़िद्दी पोते के लिए
आते समय जिससे किया था उन्होंने वायदा

अपने लिए दवा लेने से पहले ही
ख़रीद चुके थे वे यह साइकिल
उस क्षण भी नहीं भूले थे वे अपना वायदा
जब शाम बत्ती गुल हो गई थी
और डॉक्टर ने
उनके फेफड़ों के चित्र को
सूर्यास्त पर रखकर देखा था

उनका पोता
कर रहा होगा उनकी प्रतीक्षा
उसे रात में मुश्किल से आती होगी नींद
और अक्सर उसके सपने
नींद से बाहर उघर आते होंगे
चादर से बाहर हो आए
उसके उन पाँवों की तरह ही
जिनसे चलाता होगा वह
अदृश्य पैडिलें

गंगा को छाती से लगाए उड़ते इन जलपक्षियों के साथ
यह जहाज़ जो चला जा रहा है
इसे अकेले भाप ही नहीं ढकेल रही
एक बच्चे की इच्छा भी
खींच रही है इसे
उस पार ।