साईं अपने भ्रात को, कबहुं न दीजै त्रास
पलक दूर नहिं कीजिये, सदा राखिये पास
सदा राखिये पास, त्रास कबहूं नहिं दीजै
त्रास दियो लंकेश, ताहि की गति सुन लीजै
कह गिरिधर कविराइ, राम सों मिलियो जाई
पाय विभीषण राज, लंकपति बाजयो साईं
साईं अपने भ्रात को, कबहुं न दीजै त्रास
पलक दूर नहिं कीजिये, सदा राखिये पास
सदा राखिये पास, त्रास कबहूं नहिं दीजै
त्रास दियो लंकेश, ताहि की गति सुन लीजै
कह गिरिधर कविराइ, राम सों मिलियो जाई
पाय विभीषण राज, लंकपति बाजयो साईं