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साईं घोड़े आछतहि / गिरिधर

साईं घोड़े आछतहि गदहन आयो राज
कौआ लीजै हाथ में दूरि कीजिये बाज

दुरी कीजिये बाज राज पुनि ऐसो आयो
सिंह कीजिये कैद स्यार गजराज चढायो

कह गिरिधर कविराय जहाँ यह बूझि बधाई
तहां न कीजै भोर साँझ उठि चलिए साईं