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साखी ! / कन्हैया लाल सेठिया

कोनी
बिगस्योड़ा पुसब
रूंखरी
संपूण सांच
इण रा साखी बै
सहोदर कांटा
कोनी कर सक्यो
जकंा री
मुरछा भंग
पतझड़ रो अन्धड़ !
कोनी
बिगस्योड़ा पुसब
रूंखरी
संपूण सांच
इण रा साखी बै
सहोदर कांटा
कोनी कर सक्यो
जकंा री
मुरछा भंग
पतझड़ रो अन्धड़ !