Last modified on 9 अगस्त 2012, at 16:00

सागर मुद्रा - 10 / अज्ञेय

 
 हाँ,
लेकिन तुम्हारा अविराम आन्दोलन
शान्ति है, ध्रुव आस्था है,
सनातन की ललकार है;

जब कि धरती की एकरूप निश्चलता
जड़ता में
उस सब का निरन्तर हाहाकार है।
जो मर जाएगा,

जो बिना कुछ पाये, बिना जाने
अपने को बिना पहचाने
बिखर जाएगा!

मांटैरे (कैलिफ़ोर्निया), मई, 1969