Last modified on 17 मार्च 2017, at 11:35

साग / विष्णुचन्द्र शर्मा

ट्रेन का परिवार जालंधर जा रहा है!
उनके साथ मैं घूम आया अमृतसर
जहाँ ट्रक के धक्के खाकर नब्बे साल की मेरी दादी
गिर गई थी सड़क पर!
मैं याद करता रहा दादी को!
ट्रेन का परिवार बताता रहा
लाहौर पीछे छूट गया था
और नंगा काफिला गुरुद्वारे में
माथा टेक रहा था।
बातों के बीच
एक औरत ने दिया मुझे मेथी का साग
मैं दादी की भेजी
घी से तरबतर सरसों के साग
का स्वाद चखता रहा
उन्हें।