चलें गे बहिनों साग तोड़ैल’ बेहरबा।
झुकी-झुकी खेतबां में साग टूसी तड़बै।
मुठी-मुठी भरी-भरी खोंयछऽ पुरँवै॥
खोंयछऽ पुराय बहिन ऐबऽ आपनों घरबा।
चलें गे बहिनों साग तोड़ैल’ बैहरबा॥
महीन-महीन हँसुवा सें सागऽ क’ कतरबऽ।
नोंन रसून तेल दैदलसग्गा बनैबऽ।
साग-भात आगु दै मनैबऽ रूसलऽ पियबा।
चलें गे बहिनों साग तोड़ैल’ बैहरबा॥
सगबा तोड़ला सें गछबा चतरैतै।
हरा-भरा खेत देखी किसान मुसकैतै॥
भरी गाछ फूल देखी ‘प्रेमी’ गाबै गीतबा।
चलें गे बहिनों साग तोड़ैल’ बैहरबा॥