कोनी मनैं
बांध राख्यो काळ
मैंही बांध राख्यो है बीं नै
महारी अपेखा स्यूं है बो
भूत, वरतमान’र भविस
नही’स बो तो है
अरूप, अदीठ, सासतो !
कोनी मनैं
बांध राख्यो काळ
मैंही बांध राख्यो है बीं नै
महारी अपेखा स्यूं है बो
भूत, वरतमान’र भविस
नही’स बो तो है
अरूप, अदीठ, सासतो !