दिन डूबे
जाने क्यों सुधियाए दिन डूबे ।
बारी-बारी भारी
तस्वीरों का आना
फिर गहरे सागर में
पनडुब्बी हो जाना
ख़ुद को फैला लेना
लहरों के झूलों पर
खिंच कर लगा लेना
गीतों का सिरहाना
रातों भर साथ बहे ख़ुशबू के
ऊबे बिन
डूबे दिन
जाने क्यों सुधियाए दिन डूबे ।