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साधना / अजित सिंह तोमर

पराजित देवता के आशीर्वाद से
उसनें प्रेम किया
त्याज्य ऋषियों ने उसे दीक्षित किया
मंत्र को उसनें गीत की तरह पढ़ा
उसके यज्ञ की समिधा
जंगल की सबसे उपेक्षित वनस्पतियां थी
उसकी आहूतियां बिलकुल शास्त्रीय नही थी
उसके आह्वहान में थोड़ा रोष करुणा के साथ था
उसके विसर्जन के सूत्र अप्रकाशित थे
इतनी विषमताओं के बावजूद
वो आश्वस्त था
बहुत सी बातों को लेकर
यह बात अचरज भरी थी
उन लोगो के लिए
जो प्रेम और जीवन को
आदर्श स्थिति में जीने के आदी थे।