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सामन आयौ बहना मेरी रँगीला / ब्रजभाषा

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

सामन आयौ बहना मेरी रंगीला जी,
एजी कोई आई हरियाली तीज॥ 1॥
कारे पीरे बदरा लगत सुहावने जी,
ऐजी कोई घटा उठी हैं घनघोर॥ 2॥
बादल गरजे चमके बीजुरी जी,
ऐजी कोई मोर करें बन शोर॥ 3॥
नहनी 2 बुँदियाँ मेहा बरसते जी,
ऐजी कोई पवन चलै झकझोर॥ 4॥
कोयल कूके हरियल डार पैजी,
ऐजी कोई दादुर कर रहे शोर॥ 5॥
पापी पपिया पिया 2 मति करे जी,
ऐजी तेरी डारूँगी पंख मरोर॥ 6॥
मेरे पिया तो छाये परदेश में जी,
एजी मेरौ जोबन लेत हिलोर।