नदी समझती है औरत के निर्वस्त्र होकर
उससे लिपट जाने वाली देह की भाषा
नदी के पानी के लिए यह सामान्य सी बात है ।
एक नन्ही चिड़िया जानती है
नदी में डुबकी लगाती औरत की देह का
प्रेम में टूटकर मकरन्द हो जाने की कथा
फूलों के लिए और भँवरों के लिए भी
यह एक सामान्य सी बात है ।
आस-पास गोते लगाती मछलियों के लिए
औरत का यूँ नदी से लिपटना कोई नई बात नहीं कि
औरत के लिपटते ही
नदी का पानी किसी पवित्र कुण्ड जैसा लगने लगता है
जहाँ डुबकी लगा कर मछलियाँ भी ले आती हैं
अपने हिस्से की पवित्रता ।
सूरज जानता है उसके उगते ही नदी गर्म हो जाएगी
नन्ही चिड़िया फुदकने लगेगी
मछलियाँ भी चहक उठेंगी
और औरत
नदी के पानी से निर्वस्त्र होकर
लिपट जाएगी हमेशा की तरह ।
जंगल के लिए औरत का नदी से यूँ रोज़ लिपटना
सामान्य सी बात है
पहाड़ को भी कोई आपत्ति नहीं
नन्ही चिड़िया, मछली, फूल, तितली, भँवरे, जँगल, पहाड़, सूरज
सब मानते हैं
औरत का नदी से लिपटना सामान्य सी घटना है ।
औरत को निर्वस्त्र होकर नदी से लिपटते हुए
एक युग बीत गया
तब भी तुम्हारी आँखों मे औरत की देह मात्र का प्रतिबिम्ब उतर आना समझ से परे है ।
तुम कब समझोगे कि तुम्हारे गुरूर के तने हुए सागौन वृक्ष के नीचे से जड़ों को चूमते हुए
धरती के नीचे
बहुत बार चुपचाप गुज़र जाती है नदी ।
तुम्हारा इतराना हमारे लिए एक सामान्य सी बात है
क्योंकि तुम नही जानते
तुम्हारा सारा हरापन हमारा दिया हुआ है !