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सारस सबसे सरस सुहाना / मधुसूदन साहा

सारस सबसे सरस सुहाना,
भाता कहीं न आना-जाना।

टांगे लंबी, लाल, सुहानी,
गर्दन की है अजब रवानी,
खेतों में यह वहाँ मिलेगा
जहाँ मेड़ तक होगा पानी,

जब भी मन में प्रेम उमड़ता
ऊँचे स्वर में गाता गाना।

कद में यह अमिताभ' सरीखा,
हरदम सबसे ऊपर दीखा,
इसने कभी न किसी मोड़ पर
जीवन में है अवगुण सीखा,

यह मौसम को देख कभी भी
नहीं बदलता ताल पुराना।

यह जीवन भर साथ निभाता,
जिससे अपना हाथ मिलाता,
अपना घर परिवार छोड़कर
कभी न पल भर बाहर जाता,

सारस के जोड़े से सीखो
जीवन में तुम साथ निभाना।