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सावधानी क्या रखेंगे / कैलाश झा 'किंकर'

सावधानी क्या रखेंगे
हम निशानी क्या रखेंगे।

सबकी अपनी है कहानी
हम कहानी क्या रखेंगे।

प्यास के मारे हुए हम
घर में पानी क्या रखेंगे।

माँ गयी है गाँव तो हम
धूप-दानी क्या रखेंगे।

उम्र अस्सी पार है तो
हम जवानी क्या रखेंगे।