वे लिखेंगे
कविता-कहानी-उपन्यास
जनता के शोषण-उत्पीड़न पर
मानवाधिकारों के हनन पर
वे पत्रिका निकालेंगे
जनता की आवाज़ को स्वर देने के नाम पर
छापेंगे उसमें
देश-दुनिया के क्राँतिकारी रचनाकारों को भी
वे संस्थान भी स्थापित करेंगे
जनपक्षधर रचनाकारों के नाम पर
गोष्ठयाँ आयोजित की जाएँगी जहाँ
जनता से जुड़े ज्वलंत मुद्दों पर
जयँतियाँ भी मनाई जाएँगी
जनकवियों की याद में
देवता की तरह याद किया जाएगा उन्हें
वे पुरस्कारों से भी नवाजेंगे
युव से युवतर साहित्यिकों को
वे सब कुछ करेंगे
ताकि आपको विश्वास होने लगे
नहीं है कोई उनसे बड़ा जन-पक्षधर
पर सावधान!
जब अपने हक़-हक़ूक के लिए
या शोषण-उत्पीड़न के ख़िलाफ़
जनता होगी संघर्षरत
तब वे सबसे आगे होंगे
उन्हें बर्बर-जंगली और असभ्य साबित करने में ।